हें अनुपम भानु !
हे अनुपम भानु !
मेरे दिल में ऐसा ज्योति बिखरा दो ।
शाम ढले तो लाली छाए।
निशा तो निंद भर गाए ।।
हे अनुपम भानु !
ऐसा मुझे वरदान दो ।
हर मानव को निती सिखाये ।
अपना पराया सामान बनायें ।।
हे अनुपम भानु !
ऐसा संतान मुझे बना दो ।
दीन – दुखियों की सेवा करु ।
बेसहारों का सहारा बनु मै ।।
हे अनुपम भानु !
अपना पराया सब दिल से मिटा दो।
भार्या सुता सब से संतोष दिला दो।
हर जीवो के जीवन में, सुमन खिला दो ।।
हे अनुपम भानु !
मेरे दिल में ऐसा ज्योति बिखरा दो।
सच्चाई की राह दिखा दो ।
मानवों को अनुपम राह चला दो ।।
हे अनुपम भानु !
मेरे दिल में प्रेम की ज्योति जला दो ।
धन दौलत से संतोष दिला दो ।
अपने शरण में मुझे लगा लो।।
हे अनुपम भानु !
मुझे सबो के प्रति प्रेम सिखा दो ।।