कविता : हृदय में तेरा वास हो
हृदय में तेरा वास हो, तभी जीवन मधुमास हो।
करूँ वंदना मालिक यही, अटल मेरा विश्वास हो।।
सहारा तुम ही हौंसला, मुझे देते दिन रात हो।
तुम्हें भूलूँ कैसे कभी, सदा रहते तुम साथ हो।।
हज़ारों रूपों में मिले, हज़ारों साँसों में ढ़ले।
कभी कलियों में देखता, कभी फूलों में हो मिले।।
कभी चंदा में देखता, कभी सूरज तुम हो चले।
बसे हो कण-कण में तुम्हीं, तुम्हीं से हैं सब सिलसिले।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना