हृदय गीत
सुर से जब सुर जुड़ जाते हैं
शब्दों के दिल मिल जाते हैं
मुस्काती हैं लहरें हिल मिल
और एक ग़ज़ल बन जाती है।
पानी में होती है हल चल
जब खिल उठता कमलों का दल
रक्तिम आभा घुल आती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।
पंछी जब करते हैं गायन
भँवरे जब करते है नर्तन
हर कली कली इठलाती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।
सांसों में गीतों की सरगम
आहों में दुनियाँ का वेदन
सपनों में सज कर आती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।
बारिश की बूंदों की टप तप
घर लौटते खग जन का कलरव
किरणों में छटा दिखाती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।
तन्मय खोया खोया सा मन
लगता हो बीहड़ भी उपवन
एक ललक सी मन में छाती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।
भावों का ज्वार सा उठता है
दिल कुछ कहने सा लगता है
मन की देहरी वह आती है
और एक ग़ज़ल बन जाती है।
विपिन