*हृदय की वेदना कैसे, कहो किसको बताऍं हम (गीत)*
हृदय की वेदना कैसे, कहो किसको बताऍं हम (गीत)
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हृदय की वेदना कैसे, कहो किसको बताऍं हम
1)
हुए दुर्भाग्य से अभिशप्त, विधि का लेख ढोते हैं
मिला हमको मुकुट तो है, मगर भीतर से रोते हैं
विसंगति यह कि कैसे छोड़, दायित्वों को जाऍं हम
2)
बुरे कर्मों की मिलती यदि, सजा तो ठीक भी होता
नरक में रात-दिन पापी, हुआ बेचैन कब सोता
मिला है स्वर्ग हमको पर, दुखी खुद ही को पाऍं हम
3)
मिली है पण्य करने की, सजा जो भोगते हम हैं
मिला है मान कब हमको, मिले अपमान के क्रम हैं
कुटिल परिदृश्य है भारी, कहो कब मुस्कुराए हम ?
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451