हूक
तेरी यादों की दलदल में
धंसता ही जाता है दिल!
बाहर आने की कोशिश में
फंसता ही जाता है दिल!!
एक हूक-सी उठती है
रह-रहकर मेरे सीने में
घुट जाए कहीं न दम मेरा
कसता ही जाता है दिल!!
Shekhar Chandra Mitra
तेरी यादों की दलदल में
धंसता ही जाता है दिल!
बाहर आने की कोशिश में
फंसता ही जाता है दिल!!
एक हूक-सी उठती है
रह-रहकर मेरे सीने में
घुट जाए कहीं न दम मेरा
कसता ही जाता है दिल!!
Shekhar Chandra Mitra