Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

*हुस्न से विदाई*

बाइक थी उसकी शौक सवारी,
घूमने की थी फुल तैयारी।
करतूतें थी उसकी न्यारी,
यात्राएं लगती थी उसे प्यारी।
ना पढ़ाई की थी तैयारी,
भाड़ में जाए दुनियादारी।
भीड़ खचाखच शोर ही शोर,
हिम्मत ना कोई टोके और।
चलता था नजरे घूमाकर,
जुल्फों को हवा में लहराकर।
बेमतलब की बात बनाकर,
रौब और टशन दिखाकर।
लहरा लेकर बाइक चलाता,
क्या होगा आगे न घबराता?
तभी उसने दाएं को देखा,
चेहरे पर थी खुशी की रेखा।
कार में देखी हुस्न वाली,
सुन्दर प्यारी यौवनशाली।
लाल-लाल गालों वाली,
रेशम जैसे बालों वाली।
काली काली आंखों वाली,
सूरत उसकी थी निराली।
चेहरे पर था नकाब जाली,
मासूमियत उसकी करती घाली।
लंबाई उसकी थी फिट वाली,
हर झलक करती सवाली।
होठ रसीले गात कसीला,
बाइक वाला हो गया जहरीला।
जगी लालसा सुन्दर छवि की,
बात है केवल अभी-अभी की।
सपने उसके लगते गहरे,
मालूम नहीं कितने हैं पहरे।
लड़की को कुछ पता नहीं,
उसकी कुछ भी कथा नहीं।
बाइक सवार की थी करतूत,
चढ़ा था उसके सिर पर भूत।
उठाता अपने बार-बार बूट,
पता नहीं हो जाएगा शूट।
बार-बार यौवन को जुलकाता,
सांप जैसी बाइक चलाता।
खुद ही बार-बार मुस्काता,
पता नहीं क्या होगा नाता?
तभी अचानक ध्यान भटका,
लगा तभी जोर का झटका।
घूमी खोपड़ी जैसे मटका,
किसी ने उसको जोर से पटका।
बस इतनी थी उसकी लड़ाई,
हो गई दुनिया से विदाई।
यह सीख है और सच्चाई,
कदम उठाओ सोचकर भाई।
सोच समझकर मचलो भाई,
जीवन से ना हो विदाई।
भटको नहीं देखकर छवि,
दुष्यन्त कुमार लिखता है कवि।।

1 Like · 126 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dushyant Kumar
View all
You may also like:
यहां लोग सिर्फ़ औकात देखते हैं,
यहां लोग सिर्फ़ औकात देखते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक वक्त था जब मंदिर ने लोग आरती में हाथ जोड़कर और माथा झुकाक
एक वक्त था जब मंदिर ने लोग आरती में हाथ जोड़कर और माथा झुकाक
पूर्वार्थ
" सितारे "
Dr. Kishan tandon kranti
Below the earth
Below the earth
Shweta Soni
अब छोड़ जगत क्षआडंबर को।
अब छोड़ जगत क्षआडंबर को।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
Bidyadhar Mantry
*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*
*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मंजिल के जितने नजदीक होगें , तकलीफ़ें और चुनौतियां उतनी ज्या
मंजिल के जितने नजदीक होगें , तकलीफ़ें और चुनौतियां उतनी ज्या
Lokesh Sharma
रुपया दिया जायेगा,उसे खरीद लिया जायेगा
रुपया दिया जायेगा,उसे खरीद लिया जायेगा
Keshav kishor Kumar
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
ललकार भारद्वाज
प्रेम तुझे जा मुक्त किया
प्रेम तुझे जा मुक्त किया
Neelam Sharma
बहुत खुश था
बहुत खुश था
VINOD CHAUHAN
ଏହା କୌଣସି ପ୍ରଶ୍ନ ନୁହେଁ, ଏହା ଏକ ଉତ୍ତର ।
ଏହା କୌଣସି ପ୍ରଶ୍ନ ନୁହେଁ, ଏହା ଏକ ଉତ୍ତର ।
Otteri Selvakumar
तारे हैं आसमां में हजारों हजार दोस्त।
तारे हैं आसमां में हजारों हजार दोस्त।
सत्य कुमार प्रेमी
" हमारी टिप्पणियाँ "
DrLakshman Jha Parimal
..
..
*प्रणय*
राखी का मोल🙏
राखी का मोल🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वर्तमान लोकतंत्र
वर्तमान लोकतंत्र
Shyam Sundar Subramanian
World Temperance & National No sugar day 3 October
World Temperance & National No sugar day 3 October
Rj Anand Prajapati
जो लिखा है
जो लिखा है
Dr fauzia Naseem shad
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
निरुपमा
*****देव प्रबोधिनी*****
*****देव प्रबोधिनी*****
Kavita Chouhan
4749.*पूर्णिका*
4749.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शादी ..... एक सोच
शादी ..... एक सोच
Neeraj Agarwal
चलो रे काका वोट देने
चलो रे काका वोट देने
gurudeenverma198
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
अमृत पीना चाहता हर कोई,खुद को रख कर ध्यान।
अमृत पीना चाहता हर कोई,खुद को रख कर ध्यान।
विजय कुमार अग्रवाल
कोई तो डगर मिले।
कोई तो डगर मिले।
Taj Mohammad
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Loading...