हुनर भरपूर है लेकिन…
मुझे क्यूँ ये जमाना बेवजह जाहिल समझता है
हुनर भरपूर है लेकिन नहीं काबिल समझता है
कभी मालिक हुआ करता था अब नौकर सरीखा हूँ
समुंदर से भी गहरे दर्द को बस दिल समझता है
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 24/08/2022
मुझे क्यूँ ये जमाना बेवजह जाहिल समझता है
हुनर भरपूर है लेकिन नहीं काबिल समझता है
कभी मालिक हुआ करता था अब नौकर सरीखा हूँ
समुंदर से भी गहरे दर्द को बस दिल समझता है
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 24/08/2022