*हुए साठ के पार (मुक्तक)*
हुए साठ के पार (मुक्तक)
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कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार
चिंतन में भी आ गई, नई-नई-सी धार
मोहक कितने लग रहे, दुनिया के परिदृश्य
शुरू हुई ज्यों जिंदगी, पहली-पहली बार
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451