हुई कान्हा से प्रीत, मेरे ह्रदय को।
हुई कान्हा से प्रीत,
मेरे ह्रदय को!!!
जीती रहती हूं,
उसकी स्मृतियों को!!!
बड़ा ही प्यारा है,
मेरा श्याम सलोना!!!
मोह ना छूटे उससे,
मेरे अधीर मन का!!!
प्रेम से बजाए,
जब वो बांसुरिया!!!
मंत्र मुग्ध हो जाए,
सब गोपी,गय्या!!!
बड़ी ही नटखट है,
उसकी चंचलता!!!
कहते है सब उसको,
रास रसिय्या!!!
मंद मंद मुस्कुराहट जब वो,
अपने कपलो पर लाए!!!
प्रत्येक ह्रदय पर जैसे,
प्रेम का वो बाण चलाए!!!
प्रेम रूप उसका,
हर ह्रदय में बस जाए!!!
चुरा के माखन सबका,
जब जब भी वो खाए!!!
हुई कान्हा से प्रीत,
मेरे हृदय को!!!
धन्य हुआ जीवन मेरा,
लालसा ना रही कोई,
अब मेरे मन को!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ