हुआ तन्हा सफर मुश्किल, चलो फिर से मिलाएं दिल।
हुआ तन्हा सफर मुश्किल
चलो फिर से मिलाएं दिल।
समय ने जख़्म दे फाड़ी है,
अपनी प्रीत की चादर
चलो फिर जोड़ देते हैं
इसे हम प्रेम से सिल सिल
हुआ तन्हा सफर मुश्किल
चलो फिर से मिलाएं दिल।
उन्हें हम मिल के दें खुशियाँ
जो गुरबत में मरें तिल तिल
किसी की आँख का पानी
धवल मोती बनाएं मिल
हुआ तन्हा सफर मुश्किल
चलो फिर से मिलाएं दिल।
किसी मरुभूमि पर जाकर,
विहंस हम फिर खिलाएं गुल
व्यथित भटके मुसाफिर को
मिले उसकी नई मंजिल
हुआ तन्हा सफर मुश्किल
चलो फिर से मिलाएं दिल।
चलो लेकर शपथ हम सब
बनाएं एक बेहतर कल
ये छोड़ो बैर का नाता
रहें हम लोग सब हिल मिल
हुआ तन्हा सफर मुश्किल
चलो फिर से मिलाएं दिल।
अनुराग दीक्षित