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18 Feb 2022 · 1 min read

*हुआ जब साठ का नेता (मुक्तक)*

हुआ जब साठ का नेता (मुक्तक)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
चुनावों में खड़े होने में लागत ज्यादा आती है
टिकट मिलने में ही अक्सर उमर सब बीत जाती है
बड़ी मुश्किल से सीढ़ी चढ़ के छुटभैया पनपता है
हुआ जब साठ का नेता ,जवानी उस पे छाती है
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
134 Views
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