हीरा
कई बार जौहरी की नजर भी कुछ कमजोर पड़ जाती है,
लगा रहता है रंग बिरंगे पत्थरो को तराशने में,
उम्र ही गवा देता है इस सिलसिले में,
असली हीरे को कहीं किसी कोने में डाल,
पर यह हीरा भी है कमाल,
सूर्य की तरह जगमग जगमग करता है,
रोशन कर देता है जहां अंधकार में
पूनम की तरह।
नया उजाला नया दौर अपनी नई पहचान बना ।
गुम हो जाता है फिर कहीं जौहरी की नजरों से दूर,
बहुत दूर यह चमकता असली हीरा। ।