हीरक जयंती
आजादी का अमृत उत्सव
सभी दिशाओं में है कलरव
गरिमा प्रज्ञा अस्मिता
संवैधानिक दिव्यता ,
भारत है इक सभ्यता,
संस्कृति के संग रचा बसा ,
लोकतंत्र अभिमान हमारा।
लोकतंत्र सम्मान हमारा।
राजा हरिशचंद्र, विक्रमादित्य
पृथ्वीराज , शिवाजी,
भगतसिंह, सुभाष,
इनके सदगुणों की
आभा से चमक उठा
आकाश ।
हंस हंस फाँसी पर झूले थे ।
वो अपना जीवन भूले थे ।
रानी लक्ष्मीबाई का उद्भव,
अंग्रेजों की हार हुई संभव,
आजादी के परवानों का वैभव,
तन से मन से धन से बोले ,
देश प्रेम का भाव संजोले ,
आजादी की रक्षा करने,
हम पहने वासंती चोले।