“हिसाब”
“हिसाब”
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हिसाब—-?
क्या——-?
मुझे सब है पता,
हाशिये पर ,
होगा सिर्फ़ /मेरा नाम।
देनदारियाँ होंगी
सारी की सारी,
सिर्फ़ मेरे /नाम ;
भरे होंगे हाशिये ।
चुकाऊँगा सब;
रहूँगा सिर्फ़
हाशिये पर।
हिसाब नहीं ,
करुंगा कभी।
कभी भी नहीं ।
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राजेश”ललित”शर्मा
२८-१२-२०१६
११:२०
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