हिसाब क्या रखना
आँसुओं का हिसाब क्या रखना
ज़ख़्म है तो हिजाब क्या रखना
राज़ खुल ही गए ज़माने में
चेहरे पर नकाब क्या रखना
ज़िंदगी दोस्तों से होती है
दोस्त हैं तो गुलाब क्या रखना
ठोकरें जीना सीखा देती हैं
सीखने को किताब क्या रखना
एक पल की खबर नहीं ‘सागर’
साँस पर फिर रुवाब क्या रखना