हिलमिल
हिलमिल
मेरा रंग
चाय में दूध कम
मेरी आँखें
गोधूली में सब घर को भागे
मेरी नाक
अरावली का पहाड़
मेरी मुस्कान
शांत समुंदर में आया तूफ़ान
मेरा मैं
तेरा तू
मिले कभी तो
ढूँढे सुकून
प्राकट्य कुछ नहीं
अदृश्य में छुपा अदभुत रहस्य है कहीं
दूर क्षितिज की गहरी लालिमा
नीलगगन के गहरे रंग
इन्द्रधनुषी सा आभास
लिए है मेरे हिय को थाम
शांत मनोरम
सब ठहरा सा
कुछ मद्धम, कुछ भीगा सा
कानो में घुले कुछ रस मीठा सा
आधा बचपन कुछ बीता सा
मधुरम सी वो तान सुरीली
वो लहकी वो बहकी सी
वो गुड़िया जापानी थी
एक राजा एक रानी थी
बड़ा सरल था जीवन अपना
कुछ अपना कुछ सपना सा ।।
डॉ अर्चना मिश्रा