Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2023 · 1 min read

हिम्मत

मुश्किलों से निकलने को कुछ तो तैयार रखो,
हाथों में मशाल ना सही,एक चिराग रखो,

तुम अपने बच्चों की एक झलक को तड़प जाओगे,
अगर नहीं, तो तुम अपने मां – बाप का भी खयाल रखो,

हर मुकाम मुक्कमल होता नहीं सोचने पर,
उसे पाने को हर वक्त अपने दिल में एक आग़ रखो,

लोग कुछ भी कहें उसकी परवाह ना कर,
मंज़िल उची हो,और मन में उसे पाने को खयाल रखो,

दुनियां में इतना भी ना मशगूल हो जाओ,कि खुद को भूल जाओ,
ज़िन्दगी में कुछ पल ही सही अपना भी तो खयाल रखो।

1 Like · 37 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हादसे पैदा कर
हादसे पैदा कर
Shekhar Chandra Mitra
क्यूं हँसते है लोग दूसरे को असफल देखकर
क्यूं हँसते है लोग दूसरे को असफल देखकर
Praveen Sain
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
Rj Anand Prajapati
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
Ravi Prakash
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
#भाई_दूज
#भाई_दूज
*Author प्रणय प्रभात*
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
Hum bhi rang birange phoolo ki tarah hote
Hum bhi rang birange phoolo ki tarah hote
Sakshi Tripathi
नया विज्ञापन
नया विज्ञापन
Otteri Selvakumar
योग
योग
जगदीश शर्मा सहज
मौन धृतराष्ट्र बन कर खड़े हो
मौन धृतराष्ट्र बन कर खड़े हो
DrLakshman Jha Parimal
उधार वो किसी का रखते नहीं,
उधार वो किसी का रखते नहीं,
Vishal babu (vishu)
2557.पूर्णिका
2557.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पलकों की
पलकों की
हिमांशु Kulshrestha
शून्य
शून्य
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
यारा ग़म नहीं
यारा ग़म नहीं
Surinder blackpen
* लोकार्पण *
* लोकार्पण *
surenderpal vaidya
अपनी हीं क़ैद में हूँ
अपनी हीं क़ैद में हूँ
Shweta Soni
ब्रज के एक सशक्त हस्ताक्षर लोककवि रामचरन गुप्त +प्रोफेसर अशोक द्विवेदी
ब्रज के एक सशक्त हस्ताक्षर लोककवि रामचरन गुप्त +प्रोफेसर अशोक द्विवेदी
कवि रमेशराज
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
"एक और दिन"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम पतझड़ सावन पिया,
तुम पतझड़ सावन पिया,
लक्ष्मी सिंह
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
_सुलेखा.
आज़ाद फ़िज़ाओं में उड़ जाऊंगी एक दिन
आज़ाद फ़िज़ाओं में उड़ जाऊंगी एक दिन
Dr fauzia Naseem shad
प्यार में
प्यार में
श्याम सिंह बिष्ट
*
*"अवध के राम आये हैं"*
Shashi kala vyas
जो भी मिलता है दिलजार करता है
जो भी मिलता है दिलजार करता है
कवि दीपक बवेजा
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
Keshav kishor Kumar
सच हकीकत और हम बस शब्दों के साथ हैं
सच हकीकत और हम बस शब्दों के साथ हैं
Neeraj Agarwal
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
Dr. Narendra Valmiki
Loading...