हिम्मत कभी न हारिए (गीतिका)
* हिम्मत कभी न हारिए *
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हिम्मत कभी न हारिए, सहन कीजिए वार।
मिले शत्रु को पटखनी, हो जाएं तैयार।
शक्ति हीन की है नहीं, किसी जगह भी पूछ।
शक्तिवान अनुकूल है , दुनिया का व्यवहार।
जहां कहीं भी है अडिग, शक्ति सत्य के साथ।
वहां विजय होती सदा, ठहरे कभी न हार।
तीव्र वेग से बढ़ चलो, कठिन न होती राह।
मंजिल है बस सामने, तूफानों के पार।
बहुत सुहाने लग रहे, ऊंचे पर्वत श्रृंग।
स्वप्न विजय के हो रहे, हों जैसे साकार।
उलझन में पड़ना नहीं, रहना सहज स्वछंद।
जब सेवा अवसर मिले, कर लेना स्वीकार।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)