हिम्मत एवम साहस
गाँव के पास चार बच्चे रहते थे – सिया, अर्पित, नेहा और रवि। ये सभी करीब 10-12 साल के थे और हमेशा एक साथ खेलते थे। गाँव छोटा था और जंगल के किनारे बसा हुआ था। एक दिन बारिश बहुत तेज़ हुई, इतनी कि नदी का पानी बढ़ने लगा। गाँव के लोग चिंतित थे कि अगर पानी का बहाव और बढ़ा, तो गाँव डूब सकता है।
गाँव के बाहर एक पुराना बाँध था, जिसे गाँव वालों ने सालों पहले पत्थरों और मिट्टी से बनाया था। पर उस दिन बारिश इतनी ज्यादा थी कि बाँध कमजोर हो गया। गाँव के बड़े लोग बाँध को मजबूत करने के लिए उपाय सोचने लगे, लेकिन उनके पास समय बहुत कम था और संसाधनों की कमी थी।
सिया, अर्पित, नेहा, और रवि ने देखा कि गाँव के लोग घबराए हुए हैं। उन्होंने सोचा कि कुछ करना चाहिए। सिया ने कहा, “अगर हम जल्दी से कुछ नहीं करेंगे, तो बाँध टूट सकता है। हमें कुछ करना होगा।”
अर्पित ने सुझाव दिया कि वे बाँध पर जाकर देखें कि कितना नुकसान हुआ है। चारों बिना किसी को बताए वहाँ पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि बाँध का एक हिस्सा टूटने की कगार पर था, और पानी की तेज़ धार पत्थरों को बहा रही थी।
नेहा ने देखा कि आसपास बहुत से छोटे पत्थर और मिट्टी पड़ी हुई थी। उसने कहा, “हम इन्हें उठाकर बाँध के टूटे हिस्से में भर सकते हैं।” यह बहुत कठिन काम था क्योंकि बारिश अभी भी हो रही थी और पानी लगातार बह रहा था।
रवि ने गाँव की तरफ भागकर कुछ पुराने बोरे और टोकरे लाने की सोची ताकि मिट्टी और पत्थर भरकर बाँध को बचाने की कोशिश की जा सके। गाँव में लोगों की इतनी भीड़ थी कि किसी ने ध्यान नहीं दिया कि रवि क्या कर रहा है। वह जल्दी से बोरे और टोकरे लेकर वापस आया।
सिया और अर्पित ने पत्थरों को उठाना शुरू किया, जबकि नेहा और रवि मिट्टी और रेत भरने लगे। ये काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल था क्योंकि पानी का बहाव तेज़ था और उनके पास कोई औजार नहीं थे। लेकिन चारों ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने बाँध के टूटे हिस्से को पत्थरों और मिट्टी से भर दिया।
जब गाँव के लोग बाद में वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि बच्चों ने अपने छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा काम कर दिया था। बाँध को अस्थायी रूप से सुरक्षित कर दिया गया था, जिससे गाँव को तुरंत खतरा टल गया था। बाद में, गाँव के लोग मिलकर बाँध को ठीक करने में जुट गए।
इस घटना ने गाँव के सभी लोगों को यह सिखाया कि समस्या चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर हिम्मत और एकजुटता हो तो हल निकल ही आता है। बच्चों ने साबित कर दिया कि कभी-कभी छोटे हाथ भी बड़े काम कर सकते हैं।
*कलम घिसाई *