Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2024 · 2 min read

हिम्मत एवम साहस

गाँव के पास चार बच्चे रहते थे – सिया, अर्पित, नेहा और रवि। ये सभी करीब 10-12 साल के थे और हमेशा एक साथ खेलते थे। गाँव छोटा था और जंगल के किनारे बसा हुआ था। एक दिन बारिश बहुत तेज़ हुई, इतनी कि नदी का पानी बढ़ने लगा। गाँव के लोग चिंतित थे कि अगर पानी का बहाव और बढ़ा, तो गाँव डूब सकता है।

गाँव के बाहर एक पुराना बाँध था, जिसे गाँव वालों ने सालों पहले पत्थरों और मिट्टी से बनाया था। पर उस दिन बारिश इतनी ज्यादा थी कि बाँध कमजोर हो गया। गाँव के बड़े लोग बाँध को मजबूत करने के लिए उपाय सोचने लगे, लेकिन उनके पास समय बहुत कम था और संसाधनों की कमी थी।

सिया, अर्पित, नेहा, और रवि ने देखा कि गाँव के लोग घबराए हुए हैं। उन्होंने सोचा कि कुछ करना चाहिए। सिया ने कहा, “अगर हम जल्दी से कुछ नहीं करेंगे, तो बाँध टूट सकता है। हमें कुछ करना होगा।”

अर्पित ने सुझाव दिया कि वे बाँध पर जाकर देखें कि कितना नुकसान हुआ है। चारों बिना किसी को बताए वहाँ पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि बाँध का एक हिस्सा टूटने की कगार पर था, और पानी की तेज़ धार पत्थरों को बहा रही थी।

नेहा ने देखा कि आसपास बहुत से छोटे पत्थर और मिट्टी पड़ी हुई थी। उसने कहा, “हम इन्हें उठाकर बाँध के टूटे हिस्से में भर सकते हैं।” यह बहुत कठिन काम था क्योंकि बारिश अभी भी हो रही थी और पानी लगातार बह रहा था।

रवि ने गाँव की तरफ भागकर कुछ पुराने बोरे और टोकरे लाने की सोची ताकि मिट्टी और पत्थर भरकर बाँध को बचाने की कोशिश की जा सके। गाँव में लोगों की इतनी भीड़ थी कि किसी ने ध्यान नहीं दिया कि रवि क्या कर रहा है। वह जल्दी से बोरे और टोकरे लेकर वापस आया।

सिया और अर्पित ने पत्थरों को उठाना शुरू किया, जबकि नेहा और रवि मिट्टी और रेत भरने लगे। ये काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल था क्योंकि पानी का बहाव तेज़ था और उनके पास कोई औजार नहीं थे। लेकिन चारों ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने बाँध के टूटे हिस्से को पत्थरों और मिट्टी से भर दिया।

जब गाँव के लोग बाद में वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि बच्चों ने अपने छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा काम कर दिया था। बाँध को अस्थायी रूप से सुरक्षित कर दिया गया था, जिससे गाँव को तुरंत खतरा टल गया था। बाद में, गाँव के लोग मिलकर बाँध को ठीक करने में जुट गए।

इस घटना ने गाँव के सभी लोगों को यह सिखाया कि समस्या चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर हिम्मत और एकजुटता हो तो हल निकल ही आता है। बच्चों ने साबित कर दिया कि कभी-कभी छोटे हाथ भी बड़े काम कर सकते हैं।
*कलम घिसाई *

Language: Hindi
22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ଏଭଳି ସ୍ଥିତି ଉପୁଜିଛି
ଏଭଳି ସ୍ଥିତି ଉପୁଜିଛି
Otteri Selvakumar
यह आशामय दीप
यह आशामय दीप
Saraswati Bajpai
आसान कहां होती है
आसान कहां होती है
Dr fauzia Naseem shad
आईने में ...
आईने में ...
Manju Singh
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
पूर्वार्थ
बात चली है
बात चली है
Ashok deep
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
gurudeenverma198
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
sushil sarna
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
" सनद "
Dr. Kishan tandon kranti
🙅आज का ज्ञान🙅
🙅आज का ज्ञान🙅
*प्रणय प्रभात*
जै हनुमान
जै हनुमान
Seema Garg
जेठ की दुपहरी में
जेठ की दुपहरी में
Shweta Soni
हमारे पास आना चाहते हो।
हमारे पास आना चाहते हो।
सत्य कुमार प्रेमी
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
Manisha Manjari
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
दुख निवारण ब्रह्म सरोवर और हम
दुख निवारण ब्रह्म सरोवर और हम
SATPAL CHAUHAN
5) कब आओगे मोहन
5) कब आओगे मोहन
पूनम झा 'प्रथमा'
विचार और रस [ दो ]
विचार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
गुज़ारिश
गुज़ारिश
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2685.*पूर्णिका*
2685.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
International Camel Year
International Camel Year
Tushar Jagawat
मेघों का इंतजार है
मेघों का इंतजार है
VINOD CHAUHAN
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
कृष्णकांत गुर्जर
अश्रु
अश्रु
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कोई नयनों का शिकार उसके
कोई नयनों का शिकार उसके
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
-आगे ही है बढ़ना
-आगे ही है बढ़ना
Seema gupta,Alwar
धर्म निरपेक्षता
धर्म निरपेक्षता
ओनिका सेतिया 'अनु '
भले दिनों की बात
भले दिनों की बात
Sahil Ahmad
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...