हिमालय ढह रहा है रोकने की जिद करो यारो
—————————————————–
हिमालय ढह रहा है रोकने की जिद करो यारो.
कहीं गंगा न गुम जाये इसे सीमित करो यारो.
पहेली क्यों बुझाने में लगे हो कौन दोषी है?
पराभव आ खड़ा है सामने इसे पराजित करो यारो.
कसम लेके है बैठा जो तमाशा देखने की जिद.
तमाशा करनेवालों को तो अब लोहित करो यारो.
पीढ़ी आ रही है क्या कहोगे उनको तुम जरा सोचो.
शासन शेष हो पूर्व इसके उसे क्रोधित करो यारो.
जीवन दायिनी गंगा का कर्जा युग-युगों से है.
कर्जे को चुकाने स्वयं को अब जीवित करो यारो.
अरे! शिव की जटाओं का कहीं तांडव न खुल जाये.
ढहने की प्रक्रियाओं को तो अब निन्दित करो यारो.
हिमालय से उतरकर हिम हलाहल न बन जाये.
प्रलय को रोकने कटिबद्ध हो साबित करो यारो.
हिमालय है तो गौरव-गान है यह देव भूमि है.
क्षरण से अब हिमालय को अत: बाधित करो यारो.
————————————————————-