हिमालय ढह रहा है रोकने की जिद करो यारो
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हिमालय ढह रहा है रोकने की जिद करो यारो।
कहीं गंगा न गुम जाये इसे सीमित करो यारो।
पहेली क्यों बुझाने में लगे हो कौन दोषी है?
पराभव आ खड़ा है सामने इसे पराजित करो यारो।
कसम लेके है बैठा जो तमाशा देखने की जिद।
तमाशा करनेवालों को तो अब लोहित करो यारो।
पीढ़ी आ रही है क्या कहोगे उनको तुम जरा सोचो।
शासन शेष हो पूर्व इसके उसे क्रोधित करो यारो।
जीवन दायिनी गंगा का कर्जा युग-युगों से है।
कर्जे को चुकाने स्वयं को अब जीवित करो यारो।
अरे! शिव की जटाओं का कहीं तांडव न खुल जाये।
ढहने की प्रक्रियाओं को तो अब निन्दित करो यारो।
हिमालय से उतरकर हिम हलाहल न बन जाये।
प्रलय को रोकने कटिबद्ध हो साबित करो यारो।
हिमालय है तो गौरव-गान है यह देव भूमि है।
क्षरण से अब हिमालय को अत: बाधित करो यारो।
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