हिन्दी (दोहा-ग़़ज़ल)
आज हिन्दी दिवस है। इस अवसर पर हिन्दी-उर्दू एकता के लिए हमारी गंगो-जमन तहज़ीब की तरह हिन्दी-उर्दू अदबियत को समर्पित मेरी ताज़ा दोहा-ग़ज़ल-
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हिन्दी भाषा की बने, ऐसी अब पहचान।
मेहनत से जैसे बने, कोई जब धनवान।
हिन्दी को भी गर्व से, अब बोलें हम आप,
खुशी मिले ज्यों दोगुनी, मिलता जब सम्मान।
वाहन, घर, महँगे वसन, मोबाइल का शौक,
हिन्दी का भी शौक अब, पालें सब इनसान।
ज्ञानी संत समाज में, फैलाते सुविचार।
हिन्दी के उत्थान का, छेड़ें अब अभियान।
‘आकुल’ हिंदी को मिले, ऐसी एक उड़ान।
मस्जिद में हों कीर्तन, मंदिर में अब अजान।