हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
निज धर्म,सभ्यता,संस्कृति की बनती ये ही प्राण है।
प्रथम बार जो सुनी कान ने भाषा वो हिन्दी ही है
माँ के माथे की बिन्दी सी प्यारी हमको ये हिन्दी है।
लोरी के स्वर हिन्दी में ही कानों में मिश्री घोल गये
प्रथम प्रेम के बोलों को हिन्दी के अक्षर तोल गये।
मेरी सूरत, मेरी सीरत की हिन्दी ही पहचान है
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है।
रामचरितमानस तुलसी की घर-घर अलख जगाती है
हर बालक को राम बनाने की शिक्षा दे जाती है।
सीता सा आदर्श यहाँ यह हर नारी में गढ़ती है
हिन्दी सबको ही संग लेकर नित आगे ही बढ़ती है।
हिन्दी मेरी आन-बान है हिन्दू का अभिमान है
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है।