हिन्द की भाषा
हिन्द शान की बडी मात्रा
हिन्दी की बड चली यात्रा
छोटे बडे सब सेवक इसके
मनभावो को भले से रचते
गहरे पेठे इसकी आन
सबके सपनो की यह है जान
अक्षर लिए है स्वर विज्ञान
तालुव, दन्तवय या ओष्ठवय कहान
पढे जो इसको मनोयोग से
देश विदेश या सभी जहांन
भाषा हिन्दी सब से निराली
रूसी चीनी सब बेजान
संस्कृत, प्राकृत, पालि पूर्वज इसके
ब्रजभाषा, अवधी,ऊर्दू है बहन समान
सब भाषा से रख सुन्दर मेलमिलाप
पड़ोसी फारस ने दिया है हिन्दी नाम
सहस्र बरस की उम्र लिए अब
सोच सपनो की सफल राह तक
भारतेन्दु, द्विवेदी,महादेवी निराला
सबने मुझको खूब संवारा
प्रेमचंद, प्रसाद और शुक्ल ने फिर
मर्यादा को अधिक निखारा
सबने अपने दिव्य ज्ञान से
रचे ग्रंथ है कई महान
आजादी के संघर्ष मे भी
बडा दिया है योगदान
राष्ट्र भाषा का पद पाकर
बनी आवाज़, ये आवाम
जोश बढ़ाती, निखराती भाव
हिन्दी जोडे यह हिन्दुस्तान