हिन्द की तलवार हो
हिन्द की तलवार हो
कल्कि के अवतार हो
राष्ट्र का गौरव तुम्हीं
धर्म का विस्तार हो
तुम गुरू हो विश्व के
जग के करतार हो
भिड़ते हर तूफ़ान से
राष्ट्र की पतवार हो
रोकते चारों तरफ़
मुल्क पे जब वार हो
ना डिगे आँधियों से
देश की दीवार हो
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