हिन्दी
मंदिर की घंटियों सी मीठी ध्वनि है
हर इंसान के ह्रदय में धीरे से उतरी है ।
ईश्वर से मिलने की सीढ़ी है यह
प्रेम व विश्वास की धारा है यह
वज्र सी कठोर नहीं माँ सी कोमल है
सिंह की गर्जन नहीं लोरी है यह ।
रूठों को मनाना है हिंदी अपनाएं
मतभेद भुलाना है हिंदी अपनाएं ।
इस भाषा में जो मिठास है वह कहीं नहीं
चाहे हम राष्ट्र में चले जाएँ कहीं ।
हर दिल को ज़रूर लुभाती है हिंदी
बोलिए ज़रूर प्यार बढाती है हिंदी ।