Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2022 · 2 min read

हिन्दी साहित्य का फेसबुकिया काल

हिन्दी साहित्य का फेसबुकिया काल
(हास्य कविता)
~~°~~°~~°
आया है अब तो,हिंदी साहित्य का फेसबुकिया काल,
सोशल मीडिया पर हो रहा,रोज नया धमाल।
कोरोना काल से अभिशप्त,जो मानव था,
हो गए उनके ज़ज्बात,जब मन में कुंठित।
तो चीरती सन्नाटों में कलम को पकड़े,
साहित्य जगत में होने लगे,रोज नए सृजन निर्मित।
लाॅकडाउन से जो परेशान था गृहस्थी रथ,
अब साहित्य जगत की ओर मुड़ने लगा ।
पतिदेव ने जब कलम पकड़ी,
तो काव्य की गूँज,
दूर तलक सुनाई देने लगी बेहिसाब।
पत्नी भी कहाँ पीछे रहने वाली,
सब कामकाज निपटा,
वीडियो रील और लाइव को रहने लगी बेताब।
फिर तो हुआ सोशल मीडिया पर,
हर तरफ धमाल ही धमाल निशिदिन।
फेसबुकिया ग्रुपों में अब देखो,
साहित्य सृजन की कैसे होड़ मची प्रतिदिन ।
देवभाषा संस्कृत की कोख से निकली हिन्दी,
अब समृद्ध हो रही सेकुलर उर्दू से दिन-ब-दिन।
जब डेढ़ जी बी फ्री डाटा का होने लगा,
पूरा का पूरा इस्तेमाल।
तो साहित्य जगत हुआ,
पुरस्कार और सम्मान से मालामाल।
जिसका सितारा गर्दिश में था ,
वो बन गया उभरता सितारा।
पुराने कवि और लेखक ये सब जानकर ,
करने लगे खुद को किनारा ।
जिसे बोलना ही नहीं आता कभी,
वो बन गए बातचीत में माहिर ।
एडमिन और मोडरेटर की तो मत पुछो ,
उनकें नखरे अब जगजाहिर ।
कवि मन कभी निराश न होना जग से,
सच्चे दिल से तुम सृजन करो,बनके साहित्य प्रेमी।
पर कमी पर जाए यदि,अवार्ड और सम्मानों की ,
तो बना लेना तुम भी,कोई फेसबुकिया ग्रुप क्षेमी।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०९ /०४ /२०२२
चैत,शुक्ल पक्ष,अष्टमी,शनिवार ।
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
9 Likes · 10 Comments · 1033 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all
You may also like:
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
थोड़ा राज बनकर रहना जरूरी हो गया है दोस्त,
P S Dhami
..
..
*प्रणय*
जय हो जय हो महादेव
जय हो जय हो महादेव
Arghyadeep Chakraborty
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
I Fall In Love
I Fall In Love
Vedha Singh
💪         नाम है भगत सिंह
💪 नाम है भगत सिंह
Sunny kumar kabira
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
माँ में मिला गुरुत्व ही सांसों के अनंत विस्तार के व्यापक स्त
माँ में मिला गुरुत्व ही सांसों के अनंत विस्तार के व्यापक स्त
©️ दामिनी नारायण सिंह
"दर्द की दास्तान"
Dr. Kishan tandon kranti
यादों से निकला एक पल
यादों से निकला एक पल
Meera Thakur
"प्यासा"-हुनर
Vijay kumar Pandey
संवेदना
संवेदना
Ekta chitrangini
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
Neelam Sharma
नारी भाव
नारी भाव
Dr. Vaishali Verma
भूलना
भूलना
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
सारंग-कुंडलियाँ की समीक्षा
सारंग-कुंडलियाँ की समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अपने एहसास
अपने एहसास
Dr fauzia Naseem shad
पात कब तक झरेंगें
पात कब तक झरेंगें
Shweta Soni
अगर मैं अपनी बात कहूँ
अगर मैं अपनी बात कहूँ
ruby kumari
बहुत
बहुत
sushil sarna
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
gurudeenverma198
3757.💐 *पूर्णिका* 💐
3757.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ख्याल (कविता)
ख्याल (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
मेरा स्वर्ग
मेरा स्वर्ग
Dr.Priya Soni Khare
गलतियां वहीं तक करना
गलतियां वहीं तक करना
Sonam Puneet Dubey
!! पर्यावरणीय पहल !!
!! पर्यावरणीय पहल !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बदला है
बदला है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...