“” हिन्दी मे निहित हमारे संस्कार” “
“” हिन्दी मे निहित हमारे संस्कार” ”
हाय, हैलो, गुड मॉर्निंग और बाय
ये नहीं हैं हिन्दी मे निहित हमारे संस्कार,
हाथ जोड़कर बोलो रामराम सबको
बड़े बुजुर्गों को करो सादर नमस्कार,
मोम बना दिया माताजी को अंग्रेजी ने
जीते जी पूजनीय पिताजी को डैड,
चाची, ताई सारी आंटी बन गयी
रस्सी की खाट बन गया बैड,
पैर पसार लिए अंग्रेजी ने
हमारे अपरिपक्व दिमाक पर
उनतीस, उनचालीस लगें एक जैसे
इनमें फर्क नजर नहीं आता,
दादाजी हो चाहे हो नानाजी
दोनों बना दिये ग्रांडफादर
ताऊ, चाचा मामा हो या फूफा
सबको बस अंकल कह जाता,
खिलौने और उपहारों का भी
हमने रख दिया अंग्रेजी नाम
तभी तो आज दब गया
हमारी मातृभाषा हिन्दी का गुमान,
पृथक-पृथक हिंदुस्तानी जब
हिन्दी के लिए कसेगा कमान
अंग्रेजी को हराकर चोटी पर
विराजेगी तब हिन्दी महान।