***हिन्दी भारत की शान है***(कुछ मुक्तक)
हिन्दी दिवस पर कुछ मुक्तक बने, जो रह गए थे, जो निम्नवत हैं।
मुक्तक संख्या-01
संस्कृति का अवगाहन हिन्दी,भारत की शान है हिन्दी,
उद्यम और बलिदान है हिन्दी,साहस का संचार है हिन्दी,
क्रान्ति की आवाज है हिन्दी,प्रकृति का आवाहन हिन्दी,
हरिभजन का भाव है हिन्दी,सरगम का साज है हिन्दी ॥
मुक्तक संख्या-02
क्या भाषा क्या वेश हमारा हिन्दी ही बतलाती है,
अपने नैतिक अचरणों को हिन्दी ही बतलाती है,
क्या कभी विचार किया है ? हम हिन्दी के प्रति क्या कर पाते हैं,
थोड़ी सी शान के बदले,इंग्लिश को यूँ अपनाते हैं॥
मुक्तक संख्या-03
हिन्दी भारत की शान है, सब भाषन आधार,
जाके मुँह न आवती, कूप मंडूक समान,
कूप मंडूक समान, ज्ञान अधूरा रह जाता,
कितनी भी फेंके बाते, कुछ समझ न आता,
हिन्दी मुँह से निकले,मीठी वाणी के संग,
करती मन को ताजा, बरसाती है कवि रंग,
बरसाती है कवि रंग, मानुष मन को है भाती,
भोजपुरी का साथ पाय के, और भी रंग जमाती,
कह ‘अभिषेक’ कविराय, हिन्दी की महिमा जानो,
इंगलिश विंग्लिश छोड़ के, बस हिन्दी को मानो॥