हिन्दी बोलो मत शरमाओ
जग की राज दुलारी हिन्दी
है भारत माता की बिन्दी
हिन्दी बने विश्व की भाषा
स्वाभिमान की हो परिभाषा
हिन्दी को सम्मान मिले अब
जन जन से बस मान मिले अब
आओ मिलकर कदम बढ़ायें
घर घर में जाकर समझायें
बोल चाल की भाषा हिन्दी
चमक उठे हिंदी की बिन्दी
हिन्दी की तो बात अलग है
चाल अलग है ढाल अलग है
हिन्दी को पहचानो भाई
आज़ादी इसने दिलवाई
वीर शहीदों की ये दाती
राष्ट्रपिता की है शहजादी
जिसने इसको मान दिया है
उसने इसको जान लिया है
हम भी इसके हैं दीवाने
सदियों से हिन्दी को जाने
हिन्दी की है बात निराली
फिर काहे ये बनी सवाली
जब जब इसको बोला जाता
अक्स उभर कर सम्मुख आता
पल भर में सबको मोह लेती
दिल को एक शकूँ सा देती
चलो साथियो पलट दें पासा
राज करे बस हिन्दी भाषा
हिन्दी सबको प्यारी होगी
इसकी छवि उजियारी होगी
आओ हम सब अलख जगायें
जन जन को ये बात बतायें
ऐसा कोई नियम बनायें
हिन्दी को जो सब अपनायें
एक गुजारिश मेरी सुन लो
बस मन में इक बात ये बुन लो
अंग्रेजी को पास बिठाओ
हिन्दी बोलो मत शरमाओ
काम कराओ हिन्दी में सब
सबक सिखाओ हिन्दी में सब
हिन्दी को सम्मान दिलाओ
भारत का सरताज बनाओ
दिल में हो बस एक ही आशा
चले देश में हिन्दी भाषा
मनमोहक माता की बिन्दी
प्रथम राष्ट्र भाषा हो हिन्दी
©डॉ० प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला