हिन्दी दोहे- चांदी
हिन्दी दोहे :- चाँदी
चाँदी का चम्मच सुना , #राना जब प्रतिमान |
कहने का सारांश तब , सुखमय है शुभ गान ||
राजनीति खेती बनी , चाँदी उगती खेत |
नेता घर सोना उगे , #राना रहो सचेत ||
चमचों की चाँदी रहे , #राना सुनते गान |
लोकतंत्र के नाम पर , जनता कूटे धान ||
आभूषण चाँदी रहें , हो गरीब के व्याह |
#राना उनको देखकर , सब कहते है वाह ||
चाँदी जैसा आपका , धवला रहे चरित्र |
#राना यदि संसार में , नैतिकता है मित्र ||
एक श्रृंगार , आनंददा़यक दोहा
पत्नी से #राना कहे , चाँदी-सा है रूप ।
यही टिप्पणी नारि को , लगती बड़ी अनूप || | 🙏
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✍️ -राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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