हिन्दी दोहा -जगत
हिन्दी दोहा विषय – जगत
चले जगत को देखने , #राना लेकर मित्र |
नजर हमारी साफ थी , लगे सभी तब इत्र ||
जहाँ जगत भी आपसे , चाहे जब सम्मान |
#राना अच्छा देखकर , देना तब प्रतिदान ||
श्रेष्ठ बुरे #राना यहाँ , सागर भरा अथाह |
और जगत से भी उन्हें , मिलती सदा पनाह ||
देख जगत को लोग भी , बदलें अपनी राह |
मेरा अच्छा हो सदा , #राना सबकी चाह ||
सतयुग से कलियुग चला , मिले देखने दौर |
दिखे जगत में हैं अलग , #राना सबके ठौर ||
नया जगत #राना लिखे , बजते अद्भुत ढ़ोल |
शोर गोल में खो गये , #राना मीठे बोल ||
****दिनांक-17-10-2023
✍️ -राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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