“हिन्दी-दिवस”
हिन्दी-दिवस
लो आ गयी मैं आज फिर से,
कर लो एक दिन प्यार फिर से,
दे दो आज सम्मान फिर से,
लो आ गयी मैं आज फिर से।
कहते हो माँ हूँ तम्हारी,
फिर क्यूँ भूल जाते हो,
एक पल में परायी कर देते हो,
दिल से अपने दूर कर देते हो,
लो आ गयी मैं आज फिर से।
दे दो वही प्यार फिर से,
जो मैने तुम्हें दिया था,
लौटा दो मेरा वजूद फिर से,
लो आ गयी मैं आज फिर से।
खो गयी हूँ दूर जाकर,
इंतजार कर रही हूँ देर से,
घर में अपने लौटने का,
कब आओगे बता दो फिर से,
लो आ गयी मैं आज फिर से।
मेहमान सी बुला लेते हो,
फिर वैसे ही विदा कर देते हो,
टूट कर बिखर न जाऊँ मैं,
याद कर लो मुझे आज फिर से,
लो आ गयी मैं आज फिर से।
©निधि…