हिन्दी जब हिचकोले लिया करती
हिन्दी जब हिचकोले लिया करती
शिशु की पदचापों में थिरकती है
नन्हा सा निर्दोष बोले जब ‘ माँ ‘
सुनकर माँ फूली नही समाती है
अर्ध शब्द हो स्फुटित मुख से जब
हिन्दी आगे बढ़कर बाँहे फैलाती है
बड़ा हो चला पढ़ने को विद्यालय
हिन्दी कदम से कदम मिलाती है
युवावस्था में लड़खड़ाये जब पग
हिन्दी प्यारे सखा सी समझाती है
नादानियाँ प्यार में अच्छी नहीं है
एकांत में ले समझदारी सिखाती है
दुनियां के लेन देन में लग जाता जब
तब व्यवहारिकता भी सिखलाती है
जन्म से ले जीता है जब तक इन्सान
दामन हिन्दी थामे उसका रखती है