हिन्दी के हित प्यार चाहिए
* गीतिका *
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हर भारतवासी के मन में, हिन्दी के हित प्यार चाहिए।
निज भाषा के साथ हर समय, स्नेह भरा व्यवहार चाहिए।
भारत के कोने कोने से, एक साथ गुंजित हो नारा।
शासन के सब आयामों में, हिन्दी को अधिकार चाहिए।
पराधीनता की जंजीरें, एक एक कर टूट रही सब।
हिन्दी भाषा को अब मिलना, शीघ्र मुक्ति का द्वार चाहिए।
न्यायपालिका कार्यपालिका, शिक्षा स्वास्थ्य सभी स्थान पर।
भारत माता की भाषा का, स्वप्न सदा साकार चाहिए।
आजादी से अब तक देखो, दशक अनेकों बीत गए हैं।
क्यों प्रयास में कमी यह गयी, करना हमें विचार चाहिए।
वर्तमान में जीना सीखें, हिन्दी में सब काम करें हम।
दृढ़ निष्ठा भावों का मन में, नित अविरल संचार चाहिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मकान नं. ३८०/२, मण्डी नगर,
जिला मण्डी- १७५००१ (हिमाचल प्रदेश)