हिन्दी के प्रति…
जन-जन की है भाषा हिन्दी,
प्रीति की है परिभाषा हिन्दी!
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निज गौरव-इतिहास रचेगी,
भारत की है आशा हिन्दी!
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जो अनभिज्ञ हैं,उनकी ख़ातिर-
उर की सहज-पिपासा हिन्दी।
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इंग्लिश पटरानी बन बैठी,
लेकिन नहीं हताशा हिन्दी!
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जो निराश,उनको बढ़ने की-
देती ‘सरस’ दिलासा हिन्दी!
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)