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4 Feb 2017 · 1 min read

***हिचकी ****

हिचकी आ जाती है, न जाने कौन याद करता है
न जाने किस हालात में मिलने की फ़रियाद करता है
हम को तो न मालूम की कौन सी हिचकी किस बात की है
हो सकता है, हिचकी , निशानी किसी फ़रियाद की है !!

हम ने तो सोचा न था की ऐसा भी हो जाता है
हिचकी हीच हिच करती है, दिल हमारा धड़क जाता है
सीने पर हाथ रख कर, सोच में पड़े हुए हैं
हिचकी क्या है तेरा अंदाज, हम कशमकश में पड़े हुए हैं !!

या तो ठहर जा, या बुला के ला जिन के लिए बेचैन है
तू और मेरा यह दिल , न जाने किस बात पर यूं हैरान है
यह तो नहीं मालूम की क्या होना है और क्यूं आती है तूं
गुजारिश करता हूँ, या चली जा, या धड़कन को न बढ़ा !!

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
638 Views
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