हिचकियाँ
झूठी रस्मो रिवाज़ो की ख़ातिर
मे सच्चे वादे तोड़ आया
जो साया बन कर मेरे साथ रही
मे उसको ही तन्हा छोड़ आया
सोचता हूँ वो मेरा नाम ले ले कर
मुझको ही हर जगह ढुंढती होगी
तुमने कहीं देखा है उसको
वो हवाओ से ये बार बार पूछती होगी
मेरे ही कदमों की आहट बन कर
जब हवाओ ने दरवाजा खटखटाया होगा
भर गयी होंगी आँखे उसकी
जब मुझको वहाँ ना पाया होगा
उदास चेहरे पर खुशीयाँ छाई होंगी
इत्तेफाक से उसे हिचकियाँ आयी होंगी
यही सोच कर उसका दिल धड़कता होगा
की जानें वाला उसको याद करता होगा
वो बड़ी नादान है उसको ये मालूम नहीं
कि हिचकियों का यादों से कोई तालुक़ नहीं