#कुंडलिया//हिंसा ठीक नहीं
प्रबल हिंसा आग में , झुलस उठा करनाल।
पुलिस प्रशासन देखिए , कैसे करे बबाल।।
कैसे करे बबाल , शिष्य गुरु को है पीटे।
निंदनीय यह घोर , गैरकानूनी छींटे।
बातचीत से एक , निकलता सुंदर सा हल।
शिक्षा-मंदिर घेर , हुये क्यों ऐसे प्रबल?
जिस गुरु से सब सीख कर , पाते हो पद नेक।
उसपर उठना हाथ तो , नीच कर्म है एक।।
नीच कर्म है एक , राष्ट्र का गुरु निर्माता।
मिलता उसको मान , न फूला हृदय समाता।
बदलो अपनी सोच , समझिए गुरु होता तरु।
छाया देता पेड़ , दान विद्या का दे गुरु।
उचित माँग पर मानिए , धरना देना ठीक।
समझ मर्म कर शांत मन , चलिए संस्कृति लीक।।
चलिए संस्कृति लीक , न भूले से प्रण भूलो।
सही मार्ग को खोज़ , अमन से मंज़िल छूलो।
पहुँँची देश विदेश , ख़बर अच्छी न कदाचित।
सुनिए जन आवाज़ , मान लीजिए गर उचित।
#आर.एस.प्रीतम