हिंदुत्व:- वैदिक बांसुरी बना राजनितिक लाठी
हिंदुत्व, सनातन, रामराज कर तनिक ना तुमको ज्ञान !
सलमा बेगम सीती यहाँ थी राधा का परिधान !
डूब के बहुमत के मत में तुम इतना मत पथभ्रष्ट बनो ….
सुखदेव भगतसिंह संग लटका था असफाक उल्लाह खान !
इस मिट्टी से खिले पुष्प थे ज़ाकिर और कलाम !
इस जमीं पे रख कर माथा ताउम्र पढ़ी जो अज़ान !
भारत ही तो खुदा हैउसका भारत है भगवान !
इस मिट्टी में दफ़न हुऐ वलिद के खून व प्राण !
इस मिट्टी में दफ़न हुऐ वलिद के खून व प्राण !
इस घर से सब सपने जिसके कैसे बदले मकान !
घर से बेघर होकर अपने कहो कहाँ वो जायेगा !
यही पे लाठी खायेगा और यही कहीं मरजाएगा !
माँ ने सोचा पढ़े लिखेगा तो अफसर बन जायेगा !
इल्म नहीं था इल्म रहा तो जुल्म ना वो सह पायेगा !
कर विकास के वादें बन हिटलर सा क्रूर-महान !
खुद को वो अब देश मानता रोती संविधान !
तब कलम से भी भी जो लरता था वो चाटुकार बन बैठा है !
इनके करतूतों कि कालिख से ये मुल्क बना समसान !
तालीम को भी ये बेच रहें और कहते कोई बात नहीं !
चोर उच्चके डाकू जो है उनकी कोई जात नहीं !
बोध नहीं हिंदुत्व का इनको इनके अंदर जज़्बात नहीं !
इस्लाम भी अपना ले इनको इतनी इनकी औकात नहीं !
धर्मग्रन्थ है हमारी माना गीता और कुरान !
मैं हिन्दू और तुम मुस्लिम पर देश कि दोनों सान !
याद करो करो गंगा यमुनि तहजीब थी निज पहचान !
मंदिर रफ़ी का भजन था गाता मौलवी था इंसान !
#हर_हर_महादेव