हिंदी
हिंदी
हिंदी सुन के मन बहुत प्रफुल्लित होता ।
हिंदी दिल हैं हिंदुस्तान का,
संस्कृत, पाली , प्राकृत, अपभ्रंश के बाद हैं हिंदी आइ ।
इसको ऐसे ना गवाओं भाई ,
क्या हैं हिंदी का इतिहास समझो ना
खुद भी जानो ओर हिंदी का विस्तार बढ़ाओ ।
व्याकरण समझो इसका गध्य , पध्य, छंद, तुकांत , अलंकरण , रस इसको पहचानो ।
संकुचित नहीं हैं हिंदी इसके विस्तार का अभी पता नहीं हैं
ज्यों ज्यों गोता लगाओगे , खुद को ज्ञानी ही पाओगे ।
सब भाषा को स्वीकार करो , पर सबसे पहले हिंदी को नमस्कार करो,
हिंदी ही देश का गौरव हैं, इसने ही शान बढ़ाई हैं,
इसके लिए ही वीरों ने कितनी गोलियाँ खाई हैं।
नवजागरण , जनजागरण फिर से करना होगा
भारतेंदु सा बन जनजागृति फैलानी होगी ,
अंधेर नगरी में फिर से रोशनी की किरण दिखानी होगी ।
बच्चा बच्चा हो अवगत कुछ ऐसा करना होगा ।
नई राह नया मार्ग प्रशस्त करना होगा ॥
जय भारती
अर्चना मिश्रा