हिंदी
जन जन की है भाषा हिंदी
भारत की अभिलाषा हिंदी
विश्व पटल पर कदम बढ़ाती
एक नई आशा है हिंदी
विश्व गुरू का मान है हिंदी
निज गौरव की आन है हिंदी
इससे बढ़कर नहीं और कुछ
भारत का स्वाभिमान है हिंदी
हमें गर्व हम हिंदुस्तानी
प्यारी हिंदी अपनी बानी
है भाषा ये पावन सरिता
ज्यों बहता गंगा में पानी
हिंदी को तुम प्यार करो
मां सा नेह दुलार करो
है भाषाओं की यह जननी
उसका नित सत्कार करो।
-डा विवेक सक्सेना