हिंदी
हमारी आन हैँ हिंदी, हमारी शान हैँ हिंदी /
हमारी नसों मे हैँ बहती, हमारी रक्त हैँ हिंदी //
हमारी जान हैँ हिंदी, हमारी मान हैँ हिंदी //
हमारी कण-कण मे रहती, हैँ ये अपनी हिंदी //
अ अनपढ़ से शुरू होकर हमें ज्ञा, ज्ञानी बनाती हैँ //
भारत माता के भीतर बस्ती, रूह हैँ हिंदी //
पाश्चात्य को अपनाओ किन्तु, हिंदी को ना भूलो //
मेरी हर एक सांस मे रहती, वो नाम हैँ हिंदी //
भारत माता के माथे पे चमके, जैसे हो बिंदी //
मेरी मिट्टी की खुसबू मे, बस्ती हैँ मेरी हिंदी //
:~कविराज श्रेयस सारीवान