हिंदी होगी विश्व की भाषा
आज फिर वह दिवस है आया,
हिंदी का है मौसम छाया।
दिलों में सबके हिंदी ने बनाया है आवास,
प्रचार-प्रसार में इसके निरन्तर लगे हैं दूतावास।
यह राष्ट्र नहीं विश्व की भाषा भी बन सकती है,
अन्य भाषाओं को भी साथ लेकर बह सकती है।
इसमें है इतनी ताक़त यह तो दुनिया जाने,
चाहने वाले हैं इसको लाखों दीवाने।
हैं लाखों दीवाने इसका मोल अमूल्य है,
देवों की वाणी से निकली ईश्वर तुल्य है।
ईश्वर तुल्य यह भाषा, है न इसका कोई सानी,
ताकत इसकी पहचान इसे दुनिया ने है मानी।
सुरूर है इसका छाया देख रहे भारतवासी,
अपना रहा है इसको ज़्यादातर विश्व निवासी।
विश्व निवासी ने माना कि है यह हिंदी,
सुशोभित है जो बनकर भारत के माथे की बिंदी।
बिंदी बनकर इसको भारत का भाल सजाना है,
है हमारी मान ये हिंदी,इसको हमने तो माना है।
सोनी कुमारी सिंह
स्नातकोत्तर(हिंदी)
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