हिंदी– हिंदी – मै — हिंदी !!!
सूर का वात्सल्य मुझमें , मैं तुलसी की चौपाई।
हिंदी हूं मैं हिंदुस्तान की, सुनो सुनो मेरे भाई।।
मीरा का दीवानापन ,महादेवी की पीर हूं।
आधुनिकता दे रही चोट मुझे, थोड़ी-थोड़ी अधीर हूं।।
भारतेंदु का राग बनी मै, जवानी भूषण देके गए।
राष्ट्रप्रेम क्या होता बंधु माखनलाल जिस में बह गए।
बिहारी ने नैनों में बसाया प्रीत से मुझको था अपनाया।
केशव ने भी तो मुझको ही अपना दास था बनाया ।।
रहीम कबीर वृंद ने मुझको कितने दोहों में था गाया ।
सामाजिकता समरसता का पाठ था सब को पढ़ाया ।।
निराला के शब्द निराले स्मृति में उभर आते हैं।
बच्चन जी की मधुशाला के प्याले स्वर में लहराते हैं।।
गजल गीतिका कैसे लिखूं मैं दुष्यंत जी बतला गए।
भूषण की वह तेज कटारी रण कौशल दे गई नए-नए।।
पंत की प्रकृति और नौका ने कितना मुझे घुमाया था।।।
71 वर्षों के पहले राजभाषा में बन आई।
कोई मुझको मां कहता , कोई मातृभाषा भाई।।
आज दिवस है मेरा प्रश्न आपको देती हूं।
अपने ही देश की होकर मै अब क्यों संकट सहती हूं ।।
संकल्प उठाओ मेरे बन जाओ मधुराई मुझमें समाई है।
अनुनय हिंदी – भाल की बिंदी मुझको पढ़े और आगे बढ़े।
मां सम पूजे हम सब हिंदी रग रग में समाई है ।।
” राजेश व्यास अनुनय”
**हिंदी दिवस की सबको कोटि-कोटि शुभकामना**!!