Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2021 · 1 min read

” हिंदी हमारी महान है “

किसी भाषा से गुरेज नही है
पर ये अंग्रेजी समझ में नही है
जो लिखा है जब वो पढ़ना ही नही
तो फिर उसे लिखना ही नही है ,

रखा है छप्पन भोग थाली में
पर देखो इसको पूरा ना खाना
थोड़ा खा कर बाकी का सारा
उन शब्दों की तरह फेंक देना है नाली में ,

हमारे संस्कार तो हिन्दुस्तान की हिन्दी जैसे हैं
जो लिखा है वो ही है पढ़ना
थाली में परोसा पूरा का पूरा है खाना
नही तो फिर हम हिंदुस्तानी कैसे हैं ?

हमारा सब कुछ कितना आसान है
स्वर – व्यंजन – बिंदु – अनुस्वार
संज्ञा – सर्वनाम – क्रिया – विशेषण
सबका अपना – अपना काम है ,

एक – एक अक्षर का बड़ा महत्व है
एक ही शब्द के है कई अर्थ
कहीं चूके तो तो फिर देखना
कैसे अर्थ का होता अनर्थ है ,

अलंकार कितने अलंकृत हैं
शब्दों के खेल खेल कर
करते हम सब को
देखो कैसे झंकृत हैं ,

नौ रसों का रस देखो
ये कैसे रस बरसाते हैं
इनकी पंक्तियों से इनको
सब पल में समझ जाते हैं ,

एक – एक रिश्ते का यहाँ तो
अलग – अलग नाम है
एक ही शब्द में सबको लपेटना
नही हिंदी का काम है ,

हर एक रिश्ते को देते हम सम्मान है
अपने नाम से ही वो जाना जाता
उसी हिसाब से वो मान पाता
तभी तो हमारी हिंदी इतनी महान है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

Language: Hindi
1 Like · 310 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
सेल्फी या सेल्फिश
सेल्फी या सेल्फिश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यदि कोई अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं से मुक्त हो तो वह मोक्ष औ
यदि कोई अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं से मुक्त हो तो वह मोक्ष औ
Ms.Ankit Halke jha
मैं तो महज जीवन हूँ
मैं तो महज जीवन हूँ
VINOD CHAUHAN
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
Dr.Khedu Bharti
* बताएं किस तरह तुमको *
* बताएं किस तरह तुमको *
surenderpal vaidya
प्रभु पावन कर दो मन मेरा , प्रभु पावन तन मेरा
प्रभु पावन कर दो मन मेरा , प्रभु पावन तन मेरा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गुजरे वक्त के सबक से
गुजरे वक्त के सबक से
Dimpal Khari
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
आनंद प्रवीण
क्या अजीब बात है
क्या अजीब बात है
Atul "Krishn"
सत्य उस तीखी औषधि के समान होता है जो तुरंत तो कष्ट कारी लगती
सत्य उस तीखी औषधि के समान होता है जो तुरंत तो कष्ट कारी लगती
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वो आदनी सस्ता या हल्का
वो आदनी सस्ता या हल्का
*Author प्रणय प्रभात*
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
Ajay Kumar Vimal
पुराने पन्नों पे, क़लम से
पुराने पन्नों पे, क़लम से
The_dk_poetry
"मातृत्व"
Dr. Kishan tandon kranti
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
Shashi Dhar Kumar
गीता जयंती
गीता जयंती
Satish Srijan
सफर की महोब्बत
सफर की महोब्बत
Anil chobisa
सुकर्म से ...
सुकर्म से ...
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कुछ तो बाक़ी
कुछ तो बाक़ी
Dr fauzia Naseem shad
मेरा बचपन
मेरा बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सत्य शुरू से अंत तक
सत्य शुरू से अंत तक
विजय कुमार अग्रवाल
भूल गई
भूल गई
Pratibha Pandey
So many of us are currently going through huge energetic shi
So many of us are currently going through huge energetic shi
पूर्वार्थ
Whenever things got rough, instinct led me to head home,
Whenever things got rough, instinct led me to head home,
Manisha Manjari
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
Amit Pathak
मैं इस कदर हो गया हूँ पागल,तेरे प्यार में ।
मैं इस कदर हो गया हूँ पागल,तेरे प्यार में ।
Dr. Man Mohan Krishna
गहरा है रिश्ता
गहरा है रिश्ता
Surinder blackpen
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आप अपना कुछ कहते रहें ,  आप अपना कुछ लिखते रहें!  कोई पढ़ें य
आप अपना कुछ कहते रहें , आप अपना कुछ लिखते रहें! कोई पढ़ें य
DrLakshman Jha Parimal
Loading...