हिंदी स्वयं मेरी माँ है
हिंदी तू भाषा नहीं मेरी ममतामयी मातृ के मृदु हृदय के समान है
हिंदी यशस्वी भाषा के गीत का अनुपम, अलौकिक गुणगान है
कालीदास का अभिज्ञान शाकुंतलम है चंदरबरदाई का ध्यान है
मेरे आशक्ति की अभिव्यक्ति है तू कोई भाषा नहीं स्वयं भगवान है
प्रेम की अभिव्यंजना है और व्याकरण के अंतःकरण का ज्ञान है
हिंदी एक विशिष्ट कला है शेष समीकरण तो जटिल विज्ञान है
मेरी भावनाओं का सहज,सरल,सुकोमल, सुशील, सुमधुर गान है
हिंदी माँ वीणापाणि वरदायिनी का दिया हुआ अमोघ वरदान है
हिंदी काव्य, कविता,कहानी,गीत,पाठ,सुर,लय,ध्वनि और तान है
हिंदी माँ भारती के आँचल में बढ़ता हुआ पूर्ण पोषित उद्यान है
हिंदी सम्पूर्ण जीवन में अथक, अशेष, अनवरत, अविराम, अभियान है
हिंदी दिनकर, दुष्यंत, द्विवेदी, पद्माकर, पंत,प्रेमचंद, प्रसून का आह्वान है
हिंदी अर्थों की सतत् श्रृंखला में परिलक्षित विधिसूचक विधान है
विनम्रता के भाव से समाहित संस्कृतियों का स्वाभाविक सम्मान है
शालीनता और सौम्यता के मिश्रित गुणों के स्वरूप की एकमात्र पहचान है
कर्ता, क्रिया,सर्वनाम, विशेषण,क्रिया-विशेषण,नियमों का उपादान है
विभिन्न शैलियों का सम्बोधन है दुर्लभ गुणों से युक्त नित्य मूर्तिमान है
हिंदी व्यापक, व्याप्त, विशाल, विराट, विशुद्ध,विमुक्त आसमान है
हिंदी कथन है, कथानक है, संवाद है, पात्र है, रंगमंच का यथोचित स्थान है
हिंदी भारत माता की धूलि-धूसरित श्यामल आँचल में हरितिमा युक्त धान है
हिंदी भाव-भंगिमा के सुन्दर समायोजन का व्यवस्थित व्याख्यान है
हिंदी लेखक, कवि, कवियत्री, कहानीकार, नाटककार का स्वर्णिम योगदान है
हिंदी हमारी माता है पिता है पालक है और स्वयं इस धरा की संतान है
हिंदी हमारे कण-कण में संचालित है हमारे हृदय में साक्षात विराजमान है
जहाँ न पहुंचे रवि उस अति सूक्ष्मतम पदार्थ में भी विमुक्त विद्यमान है
हिंदी तुलसीदास की भक्ति, रसखान का प्यार और मीरा का विषपान है
सूर्यकांत, सुमित्रानंदन, सुभद्रा, सूरदासकवियों की श्रृंखला का कीर्तिमान है
मैथलीशरण की भारत-भारती, जयशंकर की कामायनी हिंदी के ऋण का दान है
माखन के पुष्प की अभिलाषा है बच्चन की मधुशाला, वीरगाथा का बखान है
कबीर, बिहारी, माधव,अज्ञेय, रामचंद्र, गुलेरी, महादेवी का वृहद आख्यान है
हिंदी आदित्य की जननी है जीवनदायिनी है
यश है कीर्ति है ख्याति है वैभव है मान है
हिंदी है तो आदित्य का अस्तित्व है, अपितु
हिंदी से रहित यह आदित्य मृतक समान है
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.