“हिंदी से हिंद का रक्षण करें”
“हिंदी से हिंद का रक्षण करें”
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निज भाषा को , यों न नजरंदाज कर।
झूठी शान से , भविष्य ना बर्बाद कर।
‘हिंदी’ ही तो, भारत-माता की शान है;
हे देशभक्तों,तू हिंदी पे सदा नाज़ कर।
जो नर,निज ‘हिंदी’ का करते अनादर।
पिता को भूल गैरों को भी कहे फादर।
वह बने तेज सदा, ज्ञान से रहे वे जुदा;
बस ओढ़े रहते, विदेशी भाषाई चादर।
ये मातृभाषा ही, निज राजभाषा भी है।
ये संपर्कभाषा, जनता की आशा भी है।
हे! देशवासी, इसके महत्व को तू जानो;
यही तो देश की,कथित राष्ट्रभाषा भी है।
हिंदी बोलें, हिंदी लिखें सब ये प्रण करें।
देवनागरी लिपि में, हिंदी को वरण करें।
बिन अपनी एक भाषा , कोई राष्ट्र नही;
सब मिल, ‘हिंदी’ से हिंद का रक्षण करें।
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स्वरचित सह मौलिक;
……✍️पंकज कर्ण
कटिहार (बिहार)
१४/९/२०२२