हिंदी साहित्य जगत में अनेक सितारे हैं
हिंदी साहित्य जगत में अनेक सितारे हैं
हिंदी साहित्य जगत में , अनेक सितारे हैं
कुछ टिमटिमाते तारे, कुछ सूर्य की तरह गरम अंगारे हैं
कुछ स्वयं को साहित्य जगत में , स्थापित कर पाते हैं
कुछ गुमनामी के , अँधेरे में खो जाते हैं
कुछ तो पुराने सतित्याकारों को ही , साहित्य जगत का आधार स्तम्भ मान बैठे हैं
नवीन उदीयमान साहित्यकारों को , पराया मान बैठे हैं
कुछ नहीं चाहते कि , नित नए कमल खिलें
कुछ नहीं चाहते कि , दूसरों की भी दाल गले
कुछ ऐसा समझते हैं कि केवल , उनकी रचनाएं ही गर्व का विषय हैं
दूसरों की रचनाओं को वे , गर्व का विषय कैसे कह दें
वे चाहते हैं कि लोग उनकी रचनाओं का आचमन कर , सकारात्मक टिप्पणी करें
पर शायद भूल जाते हैं कि दूसरों की उत्कृष्ट रचनाओं पर , वे भी ताली बजा सकते हैं
नये युग का निर्माण करना है तो , उदीयमान रचनाकारों को स्वीकारना ही होगा
उनके द्वारा स्थापित किये जा रहे , नित – नए आयामों को अधिकार दिलाना ही होगा
एक स्वस्थ साहित्य जगत का निर्माण करना है
तो सभी को विश्व साहित्य मंच पर लाना ही होगा
कलम किसी की भी हो , विचार किसी के भी हों
उदीयमान रचनाकारों को भी , खुला आसमां दिलाना ही होगा
उदीयमान हिंदी साहित्यकारों को , उनका मुकाम दिलाना ही होगा
सबको गले लगाना होगा , सबके लिए ताली बजाना ही होगा
हिंदी को विश्व मंच पर स्थापित करना है
तो इस गीत को अपनी रचनाओं का हिस्सा बनाना ही होगा
आइये सब साथ बढ़ चलें , दूर स्वच्छ गगन की ओर
जहां सभी को सूर्य की तरह , चमकने का अधिकार हो
जहां आसमां , किसी से भेद नहीं करता
जहां सभी को पंख फैला , उड़ने का अवसर हो
जहां समा लेता है , उन्मुक्त गगन अपनी आगोश में
देता है पंख लगा अवसरों की , उड़ान भरने का हौसला
तो विलंब कैसा और किसका इंतज़ार
तो आओ चलो मिलकर चलें
हिंदी साहित्य जगत को शिखर पर विराजें
और स्थापित करें नित नए आयाम ||