हिंदी साहित्य की नई : सजल
समान्त —-इलते
पदान्त —– रहेंगे
मात्रा भार —-19
यूँ ही अगर आप मिलते रहेंगे।
फूल खुशियों के खिलते रहेंगे।l
सागर की उर्मि नाचेंगी छमछम l
शंख अरु मोती फिसलते रहेंगे।l
लहरेगी सरिता पाँव में तेरे l
तूफाँ आँधी भी झिलते रहेंगे।l
मादक पवन जब चलेगा मदिर हो l
बैठें शिला हम पिघलते रहेंगे।l
दिलों में समाएँ हम एक दूसरे के l
पुष्पों की वल्लरी से खिलते रहेंगे।l
खुली वादियों में तुम इठलाओगे जब l
धरा और गगन दोनों हिलते रहेंगे।l
उखड़ती सांसो में बस तू ही तू है l
अपनी धडकन हम सिलते रहेंगे ll
सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
9719260777